इंसान कतई बड़ा नहीं होता ,साल भर तक तो खड़ा नहीं होता,
निन्नयानब्बे के फेर में जकड़ा,
सौ का आंकड़ा कभी पार नहीं होता ।।
बंगला गाड़ी नौकर चाकर का लालच
सब संसाधन तो जूटाने में बस है हैरान होता
चाहनाओं के स्वरों में प्रलोभनों का राग है रहता
ऐसे में उसका गीत कभी पूरा नहीं होता ।।
एवेरेस्ट के ख्वाब संजोने वाला ,
रेत के टीले पे कभी खड़ा नहीं होता,
स्वयं को पूर्णता का चरम मानने वाला,
ज्ञान की अज्ञानता में है दिन रात सोता ,
डूबने के डर से तैरना तो दूर वह ,
जल के आस पास भी कभी खड़ा नहीं होता ।।
PS : #photos courtsey Riddhi Sharma and google …




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