Category: प्रेम

  • उषा

    मेरी यह कविता नॉर्थ ईस्ट के पहाड़ी इलाकों में भोर के समय का वर्णन है। चूंकि वहां सूर्योदय जल्दी हो जाता है तो जन जीवन भी उतनी ही जल्दी शुरू हो जाता है किस प्रकार एक ओर प्रकृति अपने सौंदर्य से ओतप्रोत होती है तो दूजा देवालयों में हो रही आरती अर्चना की आवाज गूंज…

  • क्या तुम जाग रहे हो?

    क्या तुम जाग रहे हो मेरे नयनों में स्वप्न बन जगते हुए जगमगा रहे हो मेरी अनकही बातों को क्या सुनपा रहे हो नहीं आती हूँ अब तुम्हें सताने पर क्या तुम मुझे सताए बिना रह पा रहे हो तुम्हें विधाता ने मेरे लिए चुनकर बुनकर भेजा है ठीक उस झमझमाती हुई बारिश की तरह…