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Battleship Of Love
In the age of Battles of Love , Confronting the Battleship. Love makes the World go Round, and keep thy Lover Abound……… To keep Loving the Lady of Hearts , With Deeper Love smiling profound . He admires her smile and her tingling sound, Her Eyes, her lips….. Oh My! He Blushes and and always…
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गलतियां
गलतियों का पुलिंदा हूँ मैं , जैसी भी हूँ उमदा हूँ मैं, ख्वाबों पे ही जिन्दा हूँ मैं , तुझे नहीं मोल मेरा तो गलती तेरी, हुज़ूर हज़ारों में चुनिंदा हूँ मैं.. हां गलतियों का पुलिंदा हूँ मैं, रोते के सहारे का कन्धा हूँ मैं, आज तेरे गले का फंदा हूँ मैं, मैं वही हूँ…
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निवेदिता
मुझे मेरी कमज़ोरियों को उठाने की आदत थी, उन्हें ही अपनी ताकत बनाने की नज़ाकत थी, तभी कहीं से हँसते हुए तू आया मेरी देहलीज़ दिल में घर कर बन बेठा जाने कब दिल ऐ अज़ीज़… सारे गमों और तकलीफों को दूर भगाने, तू कुआँ बन आया मेरी प्यास बुझाने, जाने कब मुझे “मानव” से…
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शून्य
न छंद है न अलंकार है न खनक है न झंकार है बस भावों की परिकल्पना लेखनी में किया साकार है बिना रंगों के चित्रकार हूँ, न कवि हूँ न कलाकार हूँ मात्र अहंकार का सूत्रकार हूँ काम क्रोध मोह का विकार हूँ अज्ञान के पसार में शून्य पे सवार हूँ गान शून्य का, शून्य…
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ज़िंदगी
कुछ अनकही ख्वाहिशों का सिलसिला है ज़िंदगी , मंज़िलों से मुसलसल फासला है ज़िंदगी ….. कुछ तुझे पाने का कुछ खोने का नाम है ज़िंदगी , वस्ल ए यार का एहतेराम है ज़िन्दगी ….. कुछ बीते हुए लम्हों का हिसाब है ज़िंदगी , हँसते हँसते जीने का फलसफा है ज़िंदगी …. कुछ उफनते हुए लहरों का भाव…
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हम हो न हो ये गुलशन रहेगा
A Tribute to the students killed at Pakistan . The barbaric act couldn’t stop me from sharing it with all
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तलाश
ज़िन्दगी एक तलाश ,क्या मिलोगे कभी ? मिल गए तो वो ख्वाब ,क्या अपनाओगे भी? पा लिया अब उसे ,मेरी ख़ुशी का अंदाज़ा नहीं, ज़िन्दगी, फिर एक डर कहीं खो न दें कभी …, सहज असहजता है ज़िन्दगी का सबब न मिले तो पाने का, मिले तो खोने का डर , स्वप्न निवेदिता के ,…
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Love and Laughter
This one incident fills my heart with #Love and Laughter. Three years ago my friend called me to know when is my Anniversary in February , I just replied 25th and my husband who was standing near heard the conversation, He said nothing and went away smiling. It was 24th of January 2012 ” next…
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शस्त्र vs शास्त्र
शस्त्र निकाले शास्त्र निकाले लिखने को कागज़ और कलम निकाले हर बार शस्त्रों को शास्त्रों से लड़ाया दिमाग के घोड़ों को चहुँ और दौड़ाया साक्षी है उन उलझनों में उलझते हुए मानस पटल पे उठते हुए तूफानों की पर न शस्त्र हारे न शास्त्र समझ आया। … निवेदिता
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व्यस्त हूँ
कितना अच्छा होता , मैं भी कठोर होती गर पूछते वो क्या हुआ चुप क्यों हो ? कहती व्यस्त हूँ ,हाँ ठीक हूँ , क्यों ? परवाह के जवाब में सवाल दाग पाती …. ज़िंदगी से कुछ पल अपने लिए उधार लेती , गर पूछते क्या हुआ नाराज़ क्यों हो ? मौन रहती कुछ न कहती और रूठ जाती…