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  • अंतराल

    सुनैना कभी कभी दिनभर उस खाली जगह में लिखती रहती , सब काम छोड़ मोबाइल में ही मन रमता था आजकल जाने क्या चल रहा था उसके मन में। माँ भी अब हार मान चुकी थी जानती थी वो नहीं आने की.. जाने क्या लिखती है अचंभित माँ मन ही मन सोचती। इधर सुनैना उस…