कहने को तो इन आँखों ने पानी से बेइन्तिहान प्यार किया
प्यार में इसकदर मशगूल कि अपनी नस्ल ही पानीदार बनालिआ
पर परखा जब प्यार को जाना कि पीतल को सोना बनादिया,
पानी पर मरने वाली आँखों ने ही झट पलकें झपकाई
और छलका कर आंसुओं को गिरा दिया ……..

उन आंसुओने पलकों से बहते हुए कहा …
“नशा तेरा जो चढ़ा खूमारी कभी ना उतर पायेगी
जीने की आरज़ू रहे न रहे आरज़ू तेरी कभी ना मर पायेगी” ……….. “Nivedita”
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