है नमन! उन वीरों को जो अपनी जान पे खेल गए,
भिड़ते हुए उन बुजदिलों से ,लड़ते लड़ते शहीद हुए|
है नमन! उन शेरनियों को जिनके दूध की शक्ति से ,
दुश्मन मुंह की खाने को आखिर में मजबूर हुए |
है नमन! उस पिता की छाती को जो अपने दिल के टुकड़े को ,
भारत माता की रक्षा को शेरों से पूत न्यौछावर किये ।
है नमन! उन वीरांगनाओं को जिनकी मेहँदी भी अभी सूखी नहीं,
इंतज़ार था पिय के आने की जहां विदा किया उन्हें रोते हुए।
चूड़े का रंग छूटा भी न था रंग लाल चुनर के फीके हुए,
विदा किया तोपों की सलामी से वीरों को तिरंगे में लिपटाऐ हुए।।
है नमन! उन सपूतों को जो पिता की कमी को भरते हुए,
सेना में भर्ती को हैं तैयार फिर गोली खाने को छाती पे।।
हम अपने घरों में सो रहे वो जान की बाजी लगा गए,
उन लोगों के घर उजड़ गए हमारे घरों को बचाते हुए।।
हर मात पिता के आँखों का सपना है ,पूत तुम जैसे जने ,
है नमन ! मेरा ,स्वीकार करो ,अर्पण अश्रुसुमन तुम्हें
स्वीकार करो बारम्बार करो ।।… “निवेदिता”
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