न छंद है न अलंकार है
न खनक है न झंकार है
बस भावों की परिकल्पना
लेखनी में किया साकार है
बिना रंगों के चित्रकार हूँ,
न कवि हूँ न कलाकार हूँ
मात्र अहंकार का सूत्रकार हूँ
काम क्रोध मोह का विकार हूँ
अज्ञान के पसार में शून्य पे सवार हूँ
गान शून्य का, शून्य का सितार हूँ ।। “निवेदिता”
Leave a Reply to Kamal Kothari Cancel reply