निवेदिता

मुझे मेरी कमज़ोरियों को उठाने की आदत थी,
उन्हें ही अपनी ताकत बनाने की नज़ाकत थी,
तभी कहीं से हँसते हुए तू आया मेरी देहलीज़
दिल में घर कर बन बेठा जाने कब दिल ऐ अज़ीज़…

सारे गमों और तकलीफों को दूर भगाने,
तू कुआँ बन आया मेरी प्यास बुझाने,
जाने कब मुझे “मानव” से “निवेदिता” बना दिया,
मेरी नन्ही सी हसरतों को सपना बना लिया,
तेरे अक्स को  मैंने अपना आइना मानने लगी,
भगवान से भी ऊपर कहीं तुझे बिठा दिया ।।…

मेरी ज़िन्दगी मेरी कोयल मेरी कुहू की सौं,
मैंने तुझे नहीं अपनाया अपने को तुझे सौंप दिया,
काजल का टीका लगाना भूल गयी थी शायद,
जो नज़र ज़माने की लगी और तुझे ज़ालिम बना दिया;….
फिर न मेरा दुःख नज़र आया न रोना
मुझे तेरे प्यार ने काफिर बना दिया ।।

कभी तुझे ललक थी मुझसे बात करने की,
खुले मुंह से मुस्कुराता मेरा गाल ललचाया,
अब उन गालोँ की चमक भी धुंधला गयी है,
मेरा बोलना तो चुभन का कारण बन गया,
शायद अब किस्मत ने आपना रंग दिखा दिया…||

तुझसे जो मिला उसे प्रेम समझा और जीने का कारण बना लिया,
अब लगने लगा मैं सुख का नहीं तेरी परेशानियों का सबब बन गयी हूँ,
आंसुओं के भँवर में मुझे तेरे गले का फंदा बना दिया||

जा रही हूँ गर मेरी ज़रूरत हो तो आवाज़ देना ….
कहीँ ,दूरसे डबडबायी आँखों से टकटकी लगाये तुझे ही देख रही हूँ ।।…”निवेदिता”

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13 responses to “निवेदिता”

  1. Kamal Kothari Avatar

    Nice one, touching too at the same time a tough woman accepts the situation and walks away. Well done

    1. bhaatdal Avatar

      🙂 Thank you once again. I am glad you are liking my work , walking away is never easy …

  2. Nisthur Anadi Avatar

    You write so well.
    Nicely expressed with full flow

    1. bhaatdal Avatar

      Thank you Nisthurji for praising … 🙂 keep reading 🙂

  3. riddhiculous Avatar
    riddhiculous

    this is so so beautfiul behen 🙂

    1. bhaatdal Avatar

      Thanku sweets .. story of moving o

    1. bhaatdal Avatar
  4. extinct0703 Avatar

    Aaj purane panne palat raha hoon aur phir mugdh ho chala hoon.

    1. bhaatdal Avatar

      वाह यादें ताज़ा हो गई

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