गलतियों का पुलिंदा हूँ मैं ,
जैसी भी हूँ उमदा हूँ मैं,
ख्वाबों पे ही जिन्दा हूँ मैं ,
तुझे नहीं मोल मेरा तो गलती तेरी,
हुज़ूर हज़ारों में चुनिंदा हूँ मैं..
हां गलतियों का पुलिंदा हूँ मैं,
रोते के सहारे का कन्धा हूँ मैं,
आज तेरे गले का फंदा हूँ मैं,
मैं वही हूँ जिसे कहते न थकते थे,
ऐ हसीन तेरे कानों का बूंदा हूँ मैं …
माना गलतियों का पुलिंदा हूँ मैं,
मौला का रचा हुआ बन्दा हूँ मैं ,
अच्छा नहीं बहुत गन्दा हूँ मैं,
गुनाह तेरा जो पर काट दिए मेरे,
नहीं तो उड़ता हुआ परिंदा हूँ मैं ।।… निवेदिता
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