मंथन अच्छी बातों का

काका श्री से कल फिर से भेंट हुई बातों बातों में बात छिड़ती चली गई, उन्होंने एक बात कही जो मेरे मन को भा गई तो मेरे मुँह से सहसा निकल पड़ा यह अच्छी बात कही काका..

काका कहने लगे !! अच्छी बातों की यही खासियत होती है कि जब भी पढ़ो, सुनो या देखो अच्छी लगती हैं । पर ये केवल कहने या लिखने की बातें नहीं होती हमें इन्हें अपने आचरण में लेना चाहिए अच्छी बातें दवाईयों की भांति होती है जब तक हम इन्हें स्वयं पर इस्तेमाल नहीं करोगे तब तक यह हमें फायदा नहीं देंगी इस लिए यदि हम चाहते हैं कि अच्छी बातें हमें फायदा पहुंचाने का काम करें तो हमें इन्हें अपने जीवन में उतारने की जरूरत है अर्थात स्वयं ग्रहण करने की आवश्यकता है कहते हैं यदि हम‌ दुसरो का भला करेंगे तो हमारा भी भला ही होगा नहीं विश्वास तो करके देखों किया ऊनका इतिहास देखों ।

हमें अपने आज पर ध्यान देना चाहिए और भविष्य की ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए हमें तो बस सत्कर्म करते रहना है बाकी सब सम्हालने के लिए तो भगवान हैं।

देखिये संतों ने बहुत अच्छी बात कही है: “इस संसार की गतिविधियों पर नहीं अधिकार किसी का है जिसको हम परमात्मा कहते ये सब खेल उसी का है” इस लिए हमें अपना कर्म करते रहना चाहिए ओर बाकी सब परमात्मा पर छोड़ देना चाहिए । आप का दिन मंगलमय हो।


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One response to “मंथन अच्छी बातों का”

  1. Gerry Palermo Avatar

    So true ==> we should keep doing our work and leave everything else to God.

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