मैं गुणी हूँ, धनवान हूँ
सबसे बड़ा, महान हूँ
मैं सुंदर और सुशील हूँ
इस भ्रम में, “मैं” कुलीन हूँ
उलझन भी स्वयं बनाता हूँ
“मैं” उसमें उलझ भी जाता हूँ
रोता हूँ, कभी चिल्लाता हूँ
भगवान को दोषी ठहराता हूँ
“मैं” किसी की नहीं सुनता हूं
बस अपनी बुद्धि पर गर्वाता हूँ
जब अंत समय को “मैं” पाता हूँ
सब छोड़, अकेले “मैं” चला जाता हूँ । “ज्योत्स्ना” #निवेदिता
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