मैं

मैं गुणी हूँ, धनवान हूँ
सबसे बड़ा,  महान हूँ

मैं सुंदर और सुशील हूँ
इस भ्रम में, “मैं” कुलीन हूँ

उलझन भी स्वयं बनाता हूँ
“मैं” उसमें उलझ भी जाता हूँ

रोता हूँ, कभी चिल्लाता हूँ
भगवान को दोषी ठहराता हूँ

“मैं” किसी की नहीं सुनता हूं
बस अपनी बुद्धि पर गर्वाता हूँ

जब अंत समय को “मैं” पाता हूँ
सब छोड़, अकेले “मैं” चला जाता हूँ । “ज्योत्स्ना” #निवेदिता


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4 responses to “मैं”

  1. Gerry Palermo Avatar

    The ‘I’ in Individual.

    1. bhaatdal Avatar

      Yes Sir the I the ego..

  2. Ashish Sophat Avatar

    “मैं” इक नासूर हूँ,
    मिथ्या सा गुरूर हूँ..
    “मैं” ना ही कोई विस्तार हूँ,
    क्षण भर का अहंकार हूँ..
    जानता हूँ मैं अस्थिर हूँ,
    बेमतलब सी हुंकार हूँ..
    “मैं” पानी का सा बुलबुला हूँ,
    बस खालीपन अपार हूँ…

    1. bhaatdal Avatar

      बहुत सुंदर बात कही आपने
      मैं बस मैं में डूबा रहता हूँ

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