क्या तुम जाग रहे हो?

क्या तुम जाग रहे हो

मेरे नयनों में स्वप्न बन

जगते हुए जगमगा रहे हो

मेरी अनकही बातों को

क्या सुनपा रहे हो

नहीं आती हूँ अब तुम्हें सताने

पर क्या तुम मुझे

सताए बिना रह पा रहे हो

तुम्हें विधाता ने मेरे लिए

चुनकर बुनकर भेजा है

ठीक उस झमझमाती हुई

बारिश की तरह

जो आती तो बहुत तेज़ है

पर उसी तेज़ी से धीमी हो

चली जाती है

फिर भी मैं मेरे भीगे हुए “मन”

को निचोड़कर उन यादों को

संजोये बैठी हूँ

क्या तुम्हें भी मेरी याद आरही है

बोलो क्या मैंने भी तुम्हारी तरह

तुम्हारे ह्रदय मेंअपने लिए

एक कुटीया बना ली है.. ज्योत्सना “निवेदिता”


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Comments

2 responses to “क्या तुम जाग रहे हो?”

  1. bhaatdal Avatar

    My pleasure Dude .. Form next time I will post the meaning along.. ❤️

  2. Human Avatar

    प्यार भरी नोंक झोंक हर बार
    यादों का एक अंबार
    हृदय से जब जुड़े बेतार
    क्या जाग क्या सुप्त क्या स्वप्न ?

    निशब्द संवाद चलते लगातार
    थमा गया सताने का दौर
    मन में सृजित होते भाव सुन्दर
    शुभकामनाएं तुम्हें अपार

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