ये बादल मुझे क्यूं लुभाते हैं
बार बार अपनी ओर बुलाते हैं
और मैं खिंचती चली जाती हूं
चांद को छुपाकर सीने में
मुझसे बहुत दूर ले जाते हैं
कभी भागती हूं इनके पीछे
कभी थककर बैठ जाती हूं
जानती हूं के वो भी इन्हें
मेरी ही तरह दूर से ताकते होंगे
इनमे बनती बिगड़ती आकृति में
कभी मुझे कभी मेरे चेहरे को ढूंढते होंगे
क्या ये बादल उन्हें भी लुभाते होंगे ?
Jyotsna”निवेदिता”
बादल
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One response to “बादल”
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The clouds in Florida was marvelous and ever changing.

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